भारत का रिन्यूएबल एनर्जी इंडेक्स 2025 में ग्लोबल रैंकिंग में तीसरा स्थान

By Ravi Singh

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भारत, एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में, अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अक्षय ऊर्जा पर तेजी से ध्यान केंद्रित कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में, देश ने इस क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है, और 2025 तक इसकी वैश्विक स्थिति और भी मजबूत होने की उम्मीद है। यह लेख आपको भारत की अक्षय ऊर्जा यात्रा, उसकी वैश्विक रैंकिंग में महत्वपूर्ण छलांग, और भविष्य की संभावनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी देगा। हम उन आंकड़ों और तथ्यों पर गौर करेंगे जो भारत को विश्व के हरित ऊर्जा मानचित्र पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करते हैं।

मुख्य बातें: भारत की रिन्यूएबल एनर्जी में ऐतिहासिक छलांग

भारत ने अक्षय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है, और 2025 तक इसके कई लक्ष्य समय से पहले ही हासिल कर लिए गए हैं। भले ही समग्र अक्षय ऊर्जा स्थापित क्षमता में भारत को विश्व में चौथा स्थान प्राप्त है, लेकिन सौर ऊर्जा क्षमता में इसने तीसरा स्थान हासिल कर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की है। यह दर्शाता है कि “भारत की रिन्यूएबल एनर्जी में ऐतिहासिक छलांग: 2025 में विश्व में तीसरा!” शीर्षक, विशेष रूप से सौर ऊर्जा के संदर्भ में, बिल्कुल सटीक है।

  • भारत ने 2030 तक अपनी कुल बिजली उत्पादन क्षमता का 50% अक्षय ऊर्जा से प्राप्त करने का लक्ष्य 2025 में ही हासिल कर लिया है। यह एक बड़ी सफलता है।
  • कुल अक्षय ऊर्जा स्थापित क्षमता के मामले में भारत अब दुनिया में चौथे स्थान पर है।
  • सौर ऊर्जा क्षमता में भारत ने वैश्विक स्तर पर तीसरा स्थान प्राप्त किया है, जो देश के सौर मिशन की सफलता को दर्शाता है।
  • पवन ऊर्जा स्थापित क्षमता में भी भारत चौथे स्थान पर है।
  • मार्च 2014 में कुल अक्षय ऊर्जा क्षमता 76.37 गीगावाट थी, जो जून 2025 तक बढ़कर 226.79 गीगावाट हो गई है, यानी लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है।
  • अक्षय ऊर्जा उत्पादन में भी लगभग दोगुनी बढ़ोतरी हुई है, और कुल उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 17.20% से बढ़कर 22.20% हो गई है।

भारत की रिन्यूएबल एनर्जी यात्रा: एक दशक में अभूतपूर्व प्रगति

पिछले एक दशक में, भारत ने अपनी ऊर्जा सुरक्षा और स्थिरता को मजबूत करने के लिए अक्षय ऊर्जा को प्राथमिकता दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, देश ने जलवायु परिवर्तन समाधान के लिए टिकाऊ ऊर्जा उत्पादन और आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। इस अवधि में, भारत ने केवल अपनी स्थापित क्षमता में वृद्धि नहीं की है, बल्कि अक्षय ऊर्जा के उत्पादन को भी दोगुना किया है, जिससे कुल बिजली उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी काफी बढ़ी है। यह बदलाव न केवल पर्यावरण के लिए अच्छा है, बल्कि यह ऊर्जा आयात पर निर्भरता को कम करके अर्थव्यवस्था को भी मजबूत कर रहा है।

भारत का यह सफर उसकी दूरदर्शिता और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है कि वह कैसे एक हरित और टिकाऊ भविष्य की ओर बढ़ रहा है। देश में सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा परियोजनाओं का तेजी से विस्तार हुआ है, जिससे लाखों लोगों को स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध हो रही है। इस प्रगति ने भारत को रिन्यूएबल एनर्जी भारत के क्षेत्र में एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित किया है।

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वैश्विक मंच पर भारत की वर्तमान स्थिति: क्या है सच्चाई?

जब भारत ऊर्जा रैंकिंग की बात आती है, तो विभिन्न श्रेणियों में भारत की स्थिति को समझना महत्वपूर्ण है। कई बार, ‘तीसरे स्थान’ की खबरें विशेष रूप से सौर ऊर्जा के लिए होती हैं, जबकि कुल अक्षय ऊर्जा क्षमता में स्थिति भिन्न होती है। यहां 2025 की नवीनतम जानकारी के अनुसार भारत की वैश्विक स्थिति का स्पष्टीकरण दिया गया है:

  • कुल अक्षय ऊर्जा स्थापित क्षमता: भारत इस श्रेणी में विश्व में चौथे स्थान पर है। यह एक बड़ी उपलब्धि है, खासकर उन देशों के मुकाबले जिन्होंने अक्षय ऊर्जा पर बहुत पहले काम शुरू कर दिया था।
  • पवन ऊर्जा स्थापित क्षमता: पवन ऊर्जा के क्षेत्र में भी भारत चौथे स्थान पर बना हुआ है, जो इसकी मजबूत पवन ऊर्जा नीति और विशाल तटीय और अंतर्देशीय पवन क्षमता का प्रमाण है।
  • सौर ऊर्जा स्थापित क्षमता: यह वह श्रेणी है जहाँ भारत ने वास्तव में कमाल किया है। भारत वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर है, जो इसकी आक्रामक सौर ऊर्जा विस्तार योजनाओं और सौर ऊर्जा परियोजनाओं में भारी निवेश को दर्शाता है।

यह स्पष्ट है कि भारत अपनी अक्षय ऊर्जा क्षमता और उत्पादन में तेजी से आगे बढ़ रहा है और विश्व स्तर पर सौर ऊर्जा में तीसरे स्थान पर है, जबकि कुल रिन्यूएबल ऊर्जा में चौथे स्थान पर है। यह एक महत्वपूर्ण अंतर है जिसे समझना आवश्यक है। अधिक जानकारी के लिए, आप इस विषय पर इंडिया टीवी की रिपोर्ट देख सकते हैं।

प्रमुख उपलब्धियां और ऊर्जा लक्ष्यों की दिशा में बढ़ते कदम

भारत ने अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में कई मील के पत्थर स्थापित किए हैं, जो इसके 2025 ऊर्जा लक्ष्य की सफलता को दर्शाते हैं। ये उपलब्धियां न केवल आंकड़ों में दिखती हैं, बल्कि देश की ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण स्थिरता में भी महत्वपूर्ण योगदान देती हैं:

  • क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि: मार्च 2014 में भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता 76.37 गीगावाट थी, जो जून 2025 तक बढ़कर 226.79 गीगावाट हो गई है। यह लगभग तीन गुना की प्रभावशाली वृद्धि है।
  • उत्पादन में दोगुनी बढ़ोतरी: क्षमता के साथ-साथ, अक्षय ऊर्जा उत्पादन में भी लगभग दोगुनी बढ़ोतरी हुई है। इसकी कुल बिजली उत्पादन में हिस्सेदारी 17.20% से बढ़कर 22.20% हो गई है। यह वृद्धि यह दर्शाती है कि भारत सिर्फ क्षमता स्थापित नहीं कर रहा, बल्कि उसका उपयोग भी कर रहा है।
  • 2030 लक्ष्य का समय से पहले हासिल होना: भारत ने 2030 तक अपनी कुल बिजली उत्पादन क्षमता का 50% गैर-जीवाश्म ईंधन (नॉन-फॉसिल फ्यूल) स्रोतों से प्राप्त करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा था। यह एक बड़ी उपलब्धि है कि देश ने यह लक्ष्य 2025 में ही हासिल कर लिया है। वर्तमान में, भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता लगभग 484.8 गीगावाट है, जिसमें से 242.8 गीगावाट नॉन-फॉसिल फ्यूल से हैं, जो कुल का लगभग 50% है।

इन उपलब्धियों ने भारत को भारत ग्लोबल एनर्जी इंडेक्स में एक मजबूत दावेदार बना दिया है। आप भारत सरकार के प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) की विज्ञप्ति में इन आंकड़ों की पुष्टि कर सकते हैं।

सरकार की पहलें और नीतियां: आत्मनिर्भरता की ओर

भारत सरकार ने अक्षय ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलें और नीतियां लागू की हैं, जो देश को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर ले जा रही हैं। इन नीतियों ने निवेश को आकर्षित किया है, तकनीकी नवाचार को प्रोत्साहित किया है, और अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाया है।

  • राष्ट्रीय सौर मिशन: यह भारत की सौर ऊर्जा क्रांति की आधारशिला है, जिसका उद्देश्य सौर ऊर्जा को देश की ऊर्जा आवश्यकताओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाना है।
  • उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाएं: अक्षय ऊर्जा उपकरण निर्माण को बढ़ावा देने के लिए ये योजनाएं शुरू की गई हैं, जिससे घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन मिल रहा है और आयात पर निर्भरता कम हो रही है।
  • ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर परियोजनाएं: ये परियोजनाएं अक्षय ऊर्जा से उत्पन्न बिजली को राष्ट्रीय ग्रिड तक पहुंचाने के लिए समर्पित ट्रांसमिशन इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रही हैं।
  • प्रधान मंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-KUSUM): यह योजना किसानों को सौर पंप लगाने और अपनी अतिरिक्त सौर ऊर्जा को ग्रिड को बेचने में मदद करती है, जिससे उनकी आय बढ़ती है और कृषि क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता आती है।
  • रूफटॉप सौर कार्यक्रम: घरों और व्यवसायों पर सौर पैनल लगाने के लिए सब्सिडी और प्रोत्साहन प्रदान किए जा रहे हैं, जिससे शहरी क्षेत्रों में सौर ऊर्जा को अपनाया जा रहा है।
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ये पहलें न केवल भारत को अपने 2025 ऊर्जा लक्ष्य हासिल करने में मदद कर रही हैं, बल्कि यह सुनिश्चित भी कर रही हैं कि देश एक टिकाऊ और हरित भविष्य की ओर अग्रसर हो। #RenewableEnergyIndia

विश्व आर्थिक मंच का ऊर्जा संक्रमण सूचकांक 2025: भारत का स्थान

विश्व आर्थिक मंच (WEF) का ऊर्जा संक्रमण सूचकांक (Energy Transition Index) देशों की ऊर्जा प्रणालियों के प्रदर्शन और उनके ऊर्जा संक्रमण के लिए तैयारियों का आकलन करता है। 2025 में, इस सूचकांक में 118 देशों में से भारत को 71वें स्थान पर रखा गया है।

हालांकि भारत ने अक्षय ऊर्जा में प्रभावशाली प्रगति की है, जैसा कि ऊपर बताया गया है, कुल ऊर्जा प्रणाली के प्रदर्शन और संक्रमण तैयारियों में अभी भी सुधार की गुंजाइश है। यह स्थान दर्शाता है कि भारत को अपनी ऊर्जा दक्षता में सुधार करने, ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने और सभी नागरिकों तक ऊर्जा पहुंच सुनिश्चित करने के लिए अभी भी काम करना है। यह एक बहुआयामी चुनौती है जिसमें न केवल स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन शामिल है, बल्कि वितरण नेटवर्क को मजबूत करना, ऊर्जा भंडारण समाधान विकसित करना और ऊर्जा खपत को कम करना भी शामिल है। WEF की रिपोर्ट के बारे में अधिक जानकारी के लिए, आप सार्वभौमिक संस्थानों की वेबसाइट पर जा सकते हैं।

भारत के रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में निवेश के अवसर

भारत का अक्षय ऊर्जा क्षेत्र निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बन गया है। सरकार की सहायक नीतियां, बढ़ती ऊर्जा मांग, और स्वच्छ ऊर्जा के प्रति वैश्विक प्रतिबद्धता ने इस क्षेत्र में भारी निवेश के अवसर पैदा किए हैं। चाहे वह बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा पार्क हों, पवन ऊर्जा परियोजनाएं हों, या बैटरी भंडारण समाधान, भारत का बाजार विविधतापूर्ण और विकासशील है। निवेशकों के लिए न केवल क्षमता विस्तार में बल्कि विनिर्माण, अनुसंधान और विकास, और सेवा क्षेत्रों में भी संभावनाएं मौजूद हैं।

यह क्षेत्र न केवल वित्तीय लाभ प्रदान करता है, बल्कि पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालने का अवसर भी देता है। यदि आप हरित ऊर्जा क्षेत्र में निवेश के बारे में सोच रहे हैं, तो भारत में सर्वश्रेष्ठ ग्रीन एनर्जी स्टॉक की जानकारी सहायक हो सकती है।

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संक्षिप्त तुलना: भारत की वैश्विक रैंकिंग (2025)

श्रेणी भारत की ग्लोबल रैंकिंग (2025)
कुल अक्षय ऊर्जा चौथा स्थान
पवन ऊर्जा चौथा स्थान
सौर ऊर्जा तीसरा स्थान
WEF ऊर्जा संक्रमण सूचकांक 71वाँ स्थान

फायदे और चुनौतियां

लाभ (Pros) चुनौतियां (Cons)
ऊर्जा सुरक्षा: जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होती है। भूमि अधिग्रहण: बड़ी परियोजनाओं के लिए भूमि की उपलब्धता एक समस्या।
पर्यावरण लाभ: कार्बन उत्सर्जन में कमी, स्वच्छ हवा। ग्रिड एकीकरण: अक्षय ऊर्जा के अनिरंतर उत्पादन को ग्रिड में संभालना मुश्किल।
लागत-दक्षता: सौर और पवन ऊर्जा की लागत लगातार गिर रही है। वित्तीय बाधाएं: प्रारंभिक उच्च पूंजी निवेश की आवश्यकता।
रोजगार सृजन: हरित ऊर्जा क्षेत्र में नए रोजगार के अवसर। तकनीकी निर्भरता: कुछ उच्च-स्तरीय तकनीकों के लिए आयात पर निर्भरता।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताएं: जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में मदद। भंडारण समाधान: ऊर्जा भंडारण (बैटरी) की उच्च लागत और सीमित उपलब्धता।

FAQ

  • Q1: क्या भारत 2025 में रिन्यूएबल एनर्जी में वास्तव में तीसरे स्थान पर है?

    नहीं, नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत कुल अक्षय ऊर्जा स्थापित क्षमता में चौथे स्थान पर है। हालांकि, सौर ऊर्जा स्थापित क्षमता में भारत को विश्व में तीसरा स्थान प्राप्त है, जो एक बड़ी उपलब्धि है। ‘तीसरे स्थान’ की खबर संभवतः केवल सौर ऊर्जा से संबंधित है।

  • Q2: भारत ने अपने 2030 के अक्षय ऊर्जा लक्ष्य को कब हासिल किया?

    भारत ने 2030 तक अपनी कुल बिजली उत्पादन क्षमता का 50% अक्षय ऊर्जा से प्राप्त करने का लक्ष्य 2025 में ही हासिल कर लिया है। यह दर्शाता है कि देश अपनी हरित ऊर्जा प्रतिबद्धताओं को लेकर बेहद गंभीर है और तेजी से प्रगति कर रहा है।

  • Q3: भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता में अक्षय ऊर्जा की कितनी हिस्सेदारी है?

    भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता लगभग 484.8 गीगावाट है। इसमें से 242.8 गीगावाट नॉन-फॉसिल फ्यूल स्रोतों से हैं, जो कुल उत्पादन का लगभग 50% है। यह आंकड़ा भारत के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों की दिशा में हुई प्रगति को दर्शाता है।

  • Q4: विश्व आर्थिक मंच के ऊर्जा संक्रमण सूचकांक में भारत का क्या स्थान है?

    विश्व आर्थिक मंच (WEF) के ऊर्जा संक्रमण सूचकांक 2025 में, भारत 118 देशों में से 71वें स्थान पर है। यह स्थान अक्षय ऊर्जा में प्रगति के बावजूद कुल ऊर्जा प्रणाली के प्रदर्शन और संक्रमण तैयारियों में मध्य स्तर का स्थान दर्शाता है।

निष्कर्ष: एक उज्ज्वल और हरित भविष्य की ओर

भारत की अक्षय ऊर्जा में प्रगति न केवल प्रभावशाली है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रेरणादायक है। 2025 तक 2030 के लक्ष्यों को समय से पहले हासिल करना, कुल अक्षय ऊर्जा में चौथे स्थान पर होना और सौर ऊर्जा में तीसरे स्थान पर आना, ये सब भारत की दृढ़ता और दूरदर्शिता का प्रमाण हैं। हालांकि चुनौतियाँ अभी भी मौजूद हैं, जैसे कि ग्रिड एकीकरण और भंडारण समाधान, भारत सरकार की मजबूत नीतियां और निवेश के बढ़ते अवसर एक उज्ज्वल और हरित भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। भारत न केवल अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा कर रहा है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह वास्तव में भारत ग्लोबल एनर्जी इंडेक्स में एक ऐतिहासिक छलांग है।

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इस वीडियो में और जानें

भारत की ऊर्जा सांख्यिकी और स्वच्छ ऊर्जा में उसकी प्रगति के बारे में अधिक जानकारी के लिए, आप “Energy Statistics Of India 2025” शीर्षक वाला यह वीडियो देख सकते हैं:

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Ravi Singh

मेरा नाम रवि सिंह है, मैं एक कंटेंट राइटर के तौर पर काम करता हूँ और मुझे लेख लिखना बहुत पसंद है। 4 साल के ब्लॉगिंग अनुभव के साथ मैं हमेशा दूसरों को प्रेरित करने और उन्हें सफल ब्लॉगर बनाने के लिए ज्ञान साझा करने के लिए तैयार रहता हूँ।

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