भारत का ग्रीन हाइड्रोजन प्लान: 2025 में $10 बिलियन की परियोजनाएं

By Ravi Singh

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भारत, एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए एक महत्वाकांक्षी कदम उठा रहा है। 2025 तक, देश ने ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र में $10 बिलियन (लगभग ₹79,000 करोड़) से अधिक की परियोजनाओं को संचालित करने का लक्ष्य रखा है। यह एक ऐसा लक्ष्य है जो न केवल भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को मजबूत करेगा, बल्कि उसे वैश्विक ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन, उपयोग और निर्यात का एक प्रमुख केंद्र भी बनाएगा। यह लेख आपको भारत के इस विशाल और दूरदर्शी ग्रीन हाइड्रोजन प्लान की गहराई से जानकारी देगा, जिसमें प्रमुख परियोजनाओं, निवेश लक्ष्यों और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डाला जाएगा।

मुख्य बातें: भारत का ग्रीन हाइड्रोजन प्लान: 2025 में $10 बिलियन की परियोजनाएं

  • भारत का लक्ष्य 2025 तक ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं में $10 बिलियन से अधिक का निवेश आकर्षित करना है।
  • 4 जनवरी 2023 को नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (NGHM) को मंजूरी मिली, जिसके लिए ₹19,744 करोड़ का प्रारंभिक बजट आवंटित किया गया।
  • मिशन का उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन, उपयोग और निर्यात का एक वैश्विक केंद्र बनाना है।
  • कई बड़ी परियोजनाएं प्रगति पर हैं, जिनमें बीपीसीएल का 5 मेगावाट प्लांट, एलएंडटी और इंडियन ऑयल का पानीपत संयंत्र, और कांडला पोर्ट पर 1 मेगावाट ‘मेक-इन-इंडिया’ प्लांट शामिल हैं।
  • यह योजना भारत को 2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य हासिल करने और इस्पात, शिपिंग जैसे कठिन उद्योगों को डिकार्बोनाइज करने में मदद करेगी।

नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन: एक मजबूत नींव

भारत के ग्रीन हाइड्रोजन प्लान की रीढ़ नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (NGHM) है, जिसे 4 जनवरी 2023 को भारत सरकार द्वारा मंजूरी दी गई थी। यह मिशन एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है जिसका उद्देश्य देश को स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है। इस मिशन के लिए कुल ₹19,744 करोड़ (लगभग $2.3 बिलियन) का प्रारंभिक बजट निर्धारित किया गया है। इसमें से एक बड़ा हिस्सा, ₹17,490 करोड़, SIGHT प्रोग्राम (Strategic Interventions for Green Hydrogen Transition) के लिए आवंटित किया गया है।

SIGHT प्रोग्राम का मुख्य लक्ष्य देश में ग्रीन हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव्स के उत्पादन को बढ़ावा देना है। इसमें पायलट प्रोजेक्ट्स, अनुसंधान और विकास (R&D) को प्रोत्साहन देना और एक मजबूत इकोसिस्टम विकसित करना शामिल है। यह मिशन न केवल बड़े पैमाने पर उत्पादन सुविधाओं को स्थापित करने में मदद करेगा, बल्कि नवाचार को भी बढ़ावा देगा, जिससे भारत ग्रीन हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों में अग्रणी बन सके। सरकार का यह कदम भारत को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।

भारत के प्रमुख ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाएं: प्रगति की ओर

भारत के ग्रीन हाइड्रोजन प्लान के तहत कई बड़ी परियोजनाएं तेजी से आगे बढ़ रही हैं, जो देश के 2025 तक के $10 बिलियन के निवेश लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। ये परियोजनाएं विभिन्न क्षेत्रों में ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा दे रही हैं:

  • भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL): बीपीसीएल ने मध्य प्रदेश के बीना रिफाइनरी में एक 5 मेगावाट क्षमता का ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट चालू किया है। यह प्लांट प्रति वर्ष लगभग 780 टन हाइड्रोजन का उत्पादन करेगा, जो कंपनी की रिफाइनरी प्रक्रियाओं में उपयोग किया जाएगा और कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करेगा। यह भारत की सबसे शुरुआती बड़ी ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं में से एक है। आप इस परियोजना के बारे में अधिक जानकारी बीपीसीएल के ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट पर पा सकते हैं।
  • एलएंडटी और इंडियन ऑयल: एलएंडटी और इंडियन ऑयल हरियाणा के पानीपत में देश का सबसे बड़ा ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन संयंत्र स्थापित कर रहे हैं। इस विशाल संयंत्र का लक्ष्य प्रति वर्ष 10,000 टन हाइड्रोजन का उत्पादन करना है। यह परियोजना भारत के ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगी और औद्योगिक उपयोग के लिए बड़े पैमाने पर स्वच्छ हाइड्रोजन उपलब्ध कराएगी। इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए, आप पानीपत में इस संयंत्र के बारे में पढ़ सकते हैं।
  • कांडला पोर्ट पर ‘मेक-इन-इंडिया’ प्लांट: गुजरात के कांडला पोर्ट पर 1 मेगावाट क्षमता का “मेक-इन-इंडिया” ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट हाल ही में (जुलाई 2025) उद्घाटित हुआ है। यह भारत की स्थानीय निर्माण क्षमताओं का एक प्रमाण है। इसके अलावा, कांडला में एक 10 मेगावाट की परियोजना भी तेजी से विकसित हो रही है, जो बंदरगाह संचालन को स्वच्छ ऊर्जा से चलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस परियोजना के उद्घाटन के बारे में कांडला पोर्ट पर जानकारी उपलब्ध है।
  • एनटीपीसी का आंध्र प्रदेश हब: नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत, एनटीपीसी ने आंध्र प्रदेश में $22.3 बिलियन का एक विशाल ग्रीन हाइड्रोजन हब स्थापित करने का इरादा व्यक्त किया है। इस हब की क्षमता 1,500 टन हाइड्रोजन और 7,500 टन डेरिवेटिव्स उत्पादन की होगी, जो इसे भारत के सबसे बड़े ग्रीन हाइड्रोजन केंद्रों में से एक बनाएगा।
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ये परियोजनाएं दर्शाती हैं कि भारत हाइड्रोजन प्लान केवल कागजी कार्रवाई नहीं है, बल्कि जमीन पर तेजी से आकार ले रहा है। इन निवेशों से न केवल उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि ग्रीन हाइड्रोजन के अनुप्रयोगों के लिए भी नए रास्ते खुलेंगे।

2025 तक $10 बिलियन का निवेश लक्ष्य: क्यों महत्वपूर्ण है?

भारत का 2025 तक ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं में $10 बिलियन के निवेश का लक्ष्य सिर्फ एक संख्या नहीं है, बल्कि एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है जो देश के भविष्य को आकार देगी। यह निवेश कई कारणों से अत्यंत महत्वपूर्ण है:

  • ऊर्जा आत्मनिर्भरता: वर्तमान में, भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए काफी हद तक जीवाश्म ईंधन पर निर्भर है, जिसका एक बड़ा हिस्सा आयात किया जाता है। ग्रीन हाइड्रोजन पर ध्यान केंद्रित करने से भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर बन पाएगा, जिससे विदेशी मुद्रा बचेगी और भू-राजनीतिक जोखिम कम होंगे।
  • आर्थिक विकास और रोजगार सृजन: ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश से नए उद्योगों का विकास होगा, अनुसंधान और विकास को बढ़ावा मिलेगा और हजारों नौकरियां पैदा होंगी। इसमें विनिर्माण, इंजीनियरिंग, अनुसंधान और संचालन जैसे विभिन्न क्षेत्र शामिल हैं।
  • वैश्विक नेतृत्व: ग्रीन हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों में अग्रणी बनकर, भारत इस उभरते बाजार में एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी बन सकता है। यह न केवल उत्पादन करेगा बल्कि ग्रीन हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव्स का निर्यात भी कर पाएगा, जिससे देश की आर्थिक स्थिति और मजबूत होगी।
  • पर्यावरणीय स्थिरता: जीवाश्म ईंधन से ग्रीन हाइड्रोजन की ओर बढ़ना कार्बन उत्सर्जन को नाटकीय रूप से कम करेगा, जिससे भारत को अपने जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। यह स्वच्छ हवा और बेहतर पर्यावरणीय स्वास्थ्य में भी योगदान देगा।
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सरकार ने 2025-26 तक लगभग ₹400 करोड़ गो ग्रीन हाइड्रोजन हब और अन्य परियोजनाओं के निर्माण के लिए आवंटित किए हैं, जिससे बड़ी परियोजनाओं को प्रोत्साहन मिलेगा और निवेश के लिए एक अनुकूल माहौल बनेगा। यह जानकारी आप नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के दिशानिर्देशों में भी देख सकते हैं।

ग्रीन हाइड्रोजन: भविष्य की स्वच्छ ऊर्जा

ग्रीन हाइड्रोजन वह हाइड्रोजन है जिसका उत्पादन नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (जैसे सौर, पवन ऊर्जा) का उपयोग करके पानी के इलेक्ट्रोलिसिस से किया जाता है। इस प्रक्रिया में कोई ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जित नहीं होती है, जिससे यह पर्यावरण के लिए अत्यंत अनुकूल होती है। भारत के लिए, ग्रीन हाइड्रोजन भविष्य की स्वच्छ ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।

इसकी महत्ता इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि यह भारत को 2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य पाने में मदद करेगा। ग्रीन हाइड्रोजन उन उद्योगों के डिकार्बोनाइजेशन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जिन्हें स्वच्छ बनाना सबसे मुश्किल माना जाता है, जैसे इस्पात उत्पादन, भारी शिपिंग और लॉजिस्टिक्स। ये क्षेत्र पारंपरिक रूप से बड़ी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन करते हैं, और ग्रीन हाइड्रोजन उन्हें हरित विकल्प प्रदान करता है। नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन का विस्तृत विवरण यहां उपलब्ध है।

इसके अलावा, ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग ईंधन सेल वाहनों, ऊर्जा भंडारण और बिजली उत्पादन में भी किया जा सकता है, जिससे यह ऊर्जा संक्रमण में एक बहुमुखी समाधान बन जाता है। भारत के पास विशाल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता है, जो ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए एक आदर्श आधार प्रदान करती है।

फायदे और चुनौतियां

Pros (फायदे) Cons (चुनौतियां)
स्वच्छ ऊर्जा: उत्पादन में कोई कार्बन उत्सर्जन नहीं। उच्च प्रारंभिक लागत: मौजूदा तकनीकें महंगी हैं।
ऊर्जा आत्मनिर्भरता: आयात पर निर्भरता कम होगी। प्रौद्योगिकी का विकास और पैमाना: बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए और नवाचार की आवश्यकता।
आर्थिक विकास और रोजगार: नए उद्योग और नौकरियां पैदा होंगी। परिवहन और भंडारण की चुनौतियां: हाइड्रोजन का परिवहन और भंडारण जटिल है।
निर्यात क्षमता: भारत वैश्विक ग्रीन हाइड्रोजन बाजार में एक बड़ा खिलाड़ी बन सकता है। जल उपलब्धता: उत्पादन के लिए शुद्ध पानी की आवश्यकता, कुछ क्षेत्रों में चुनौती।
डिकार्बोनाइजेशन: इस्पात, शिपिंग जैसे कठिन उद्योगों को हरित बनाने में मदद। बुनियादी ढांचे का विकास: नए पाइपलाइन, भंडारण सुविधाएं आदि की जरूरत।

FAQ

  • ग्रीन हाइड्रोजन क्या है?

    ग्रीन हाइड्रोजन वह हाइड्रोजन है जिसका उत्पादन नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (जैसे सौर या पवन ऊर्जा) का उपयोग करके पानी के इलेक्ट्रोलिसिस से किया जाता है। इस प्रक्रिया में कोई ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जित नहीं होती, जिससे यह एक स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा स्रोत बन जाता है। इसे भविष्य की स्वच्छ ऊर्जा के रूप में देखा जा रहा है।

  • भारत का नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन क्या है?

    नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (NGHM) भारत सरकार द्वारा 4 जनवरी 2023 को स्वीकृत एक पहल है। इसका उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन, उपयोग और निर्यात का एक वैश्विक केंद्र बनाना है। इसमें उत्पादन को बढ़ावा देने, अनुसंधान और विकास को समर्थन देने और एक मजबूत ग्रीन हाइड्रोजन इकोसिस्टम विकसित करने के लिए ₹19,744 करोड़ का प्रारंभिक बजट शामिल है।

  • 2025 तक भारत का निवेश लक्ष्य क्या है?

    भारत सरकार का लक्ष्य 2025 तक ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं में लगभग $10 बिलियन (करीब ₹79,000 करोड़) से अधिक का निवेश आकर्षित करना और उसे संचालित करना है। यह निवेश देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ाने और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की स्थिति को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है।

  • यह मिशन भारत को नेट-जीरो लक्ष्य हासिल करने में कैसे मदद करेगा?

    ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग जीवाश्म ईंधन के स्थान पर करके, भारत कार्बन उत्सर्जन को काफी कम कर सकता है। यह विशेष रूप से इस्पात, शिपिंग और लॉजिस्टिक्स जैसे भारी उद्योगों को डिकार्बोनाइज करने में महत्वपूर्ण है। यह सीधे तौर पर भारत के 2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होगा।

  • भारत में कुछ प्रमुख ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाएं कौन सी हैं?

    भारत में कई बड़ी ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाएं चल रही हैं। इनमें बीपीसीएल का मध्य प्रदेश के बीना में 5 मेगावाट का प्लांट, एलएंडटी और इंडियन ऑयल का हरियाणा के पानीपत में 10,000 टन/वर्ष क्षमता का संयंत्र, और गुजरात के कांडला पोर्ट पर 1 मेगावाट का ‘मेक-इन-इंडिया’ प्लांट शामिल हैं। एनटीपीसी भी आंध्र प्रदेश में एक बड़े ग्रीन हाइड्रोजन हब पर काम कर रहा है।

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इस वीडियो में और जानें

अगस्त 2025 में कांडला पोर्ट पर बने 1 MW ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट के उद्घाटन और भारत की ग्रीन हाइड्रोजन तकनीकों में हुई प्रगति को इस वीडियो में देखें:

(कृपया ध्यान दें: ऊपर दिए गए iframe कोड में “YOUR_YOUTUBE_VIDEO_ID” को वास्तविक वीडियो ID से बदलें। यदि वीडियो संदर्भ में “अगस्त 2025 में Kandla Port पर बने 1 MW ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट का उद्घाटन दिखाता एक नवीनतम वीडियो है” दिया गया है, तो इस वीडियो के लिए एक उपयुक्त YouTube ID प्रदान की जानी चाहिए। यदि कोई विशिष्ट वीडियो ID नहीं है, तो एक प्रासंगिक ग्रीन हाइड्रोजन वीडियो का उपयोग किया जा सकता है या इस अनुभाग को आवश्यकतानुसार संशोधित किया जा सकता है।)

निष्कर्ष

भारत का ग्रीन हाइड्रोजन प्लान, जिसका लक्ष्य 2025 तक $10 बिलियन की परियोजनाओं को संचालित करना है, देश के भविष्य के लिए एक परिवर्तनकारी कदम है। यह न केवल भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को मजबूत करेगा और आर्थिक विकास को गति देगा, बल्कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में भी एक महत्वपूर्ण योगदान देगा। नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत हो रहे भारी निवेश और प्रमुख परियोजनाओं की प्रगति के साथ, भारत ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र में एक वैश्विक नेता बनने की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है।

यह पहल दर्शाती है कि भारत स्वच्छ ऊर्जा और स्थायी भविष्य के प्रति कितना प्रतिबद्ध है। आने वाले वर्षों में, ग्रीन हाइड्रोजन भारत के औद्योगिक परिदृश्य और ऊर्जा मिश्रण को मौलिक रूप से बदल देगा, जिससे एक हरियाली और अधिक टिकाऊ कल का निर्माण होगा।

हमें उम्मीद है कि यह लेख आपको भारत के ग्रीन हाइड्रोजन प्लान की गहरी समझ देने में सफल रहा होगा। यदि आपके कोई प्रश्न या विचार हैं, तो कृपया नीचे टिप्पणी करें। आप हमारे हमारे बारे में पेज पर भी जा सकते हैं और हमसे संपर्क करें

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Ravi Singh

मेरा नाम रवि सिंह है, मैं एक कंटेंट राइटर के तौर पर काम करता हूँ और मुझे लेख लिखना बहुत पसंद है। 4 साल के ब्लॉगिंग अनुभव के साथ मैं हमेशा दूसरों को प्रेरित करने और उन्हें सफल ब्लॉगर बनाने के लिए ज्ञान साझा करने के लिए तैयार रहता हूँ।

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